बाल-गीत : पावन राष्ट्र निशान



श्री बालकवि बैरागी के बाल-गीत संग्रह
गाओ बच्चों’ का पहला बाल गीत 



कवि का आत्म-कथ्य

‘आओ बच्चों! गाओ बच्चों!” मेरी नई बाल-कविताओं का संकलन है। भारत के भावी नागरिक देश की भावना के साथ आगे कदम बढ़ायें। रचनाएँ कैसी हैं, इन्हें बाल पाठक ही पढ़कर बतायेंगे, जिनके लिए यह लिखी गई हैं।

बाल-साहित्य के नाम पर आजकल, बहुत-कुछ लिखा जा रहा है, किन्तु जब तक बाल-मन लेखक के पास नहीं, बाल-सुलभ कल्पना नहीं, तब तक लिखना, लिखना मात्र है।

दो-चार गीत भी बच्चे याद कर गुनगुनायेंगे, उनसे उत्साह, आनन्द पायेंगे, तो मुझे सन्तोष होगा।

- बालकवि बैरागी
गणतन्त्र दिवस
26 जनवरी 1984


श्री बालकवि बैरागी के बाल-गीत संग्रह
गाओ बच्चों’ का पहला बाल गीत 
 
पावन राष्ट्र निशान

हमारा पावन राष्ट्र निशान
यही हमारा ईश्वर अल्ला
गीता और कुरान
पावन राष्ट्र निशान।।

            -1-

अम्बर से ऊँचा फहरेगा
तिल भर नहीं झुकेगा
उसको थामे चलने वाला
यौवन नहीं रुकेगा.....
दीन-धरम है यही हमारा
और यही ईमान
पावन राष्ट्र निशान।।

            -2-

अमर शहीदों ने लोहू से
जिसके चरण पखारे
प्रजातन्त्र के चारण जिसका
यश-गौरव उच्चारें
अभिलाषा यह इस पीढ़ी की 
ईश्वर का वरदान
पावन राष्ट्र निशान।।

            -3-

कभी नहीं बिछड़े धरती से
इसकी मंगल छाया
नीलाम्बर के शैल-शिखर तक
जावे यह फहराया
एक नहीं सो जनम करेंगे
हम इस पर बलिदान
पावन राष्ट्र निशान।।

            -4-

इस पर आँख उठाने वालों
इसका बल पहचानो
अमर पताका के वैभव को
छोटा मत अनुमानो
पैंसठ कोटि शरीरों का है
अमर तिरंगा प्राण
पावन राष्ट्र निशान।।
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अनुक्रम
01  पावन राष्ट्र निशान
02  आजादी की पहरेदारी
03  आओ लड़ें अकाल से
04  गाँधी गीत
05  हम गाँधी के लाल
06  15 अगस्त
07  रिश्ते 
08  किरणों से जगमगायें 
09  ओ मिट्टी के कण
10  हम हैं पहरेदार 
11  जूझ गई मौसम से
12  साँप, मेंढक और बाढ़ 


संग्रह के ब्यौरे 

गाओ बच्चों: बाल-गीत
कवि - बालकवि बैरागी
प्रकाशक - राष्ट्रीय प्रकाशन मन्दिर 
पटना, भोपाल, लखनऊ-226018
चित्रकार: कांजीलाल एवं गोपेश्वर, वाराणसी
कवर: चड्ढा चित्रकार, दिल्ली
संस्करण: प्रथम  26 जनवरी 1984
मूल्य:  पाँच रुपये पच्चास पैसे
मुद्रक: देश सेवा प्रेस
10, सम्मेलन मार्ग, इलाहाबाद



बाल-गीतों का यह संग्रह
दादा श्री बालकवि बैरागी के छोटे बहू-बेटे
नीरजा बैरागी और गोर्की बैरागी
ने उपलब्ध कराया।



 





















4 comments:

  1. जी नमस्ते ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा आज शनिवार (१४-०८-२०२१) को
    "जो करते कल्याण को, उनका होता मान" चर्चा अंक-४१५६ (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
    पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है।
    सादर

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    1. बहुत-बहुत धन्‍यवाद। आपकी बताई लिंक पर जाता हूँ।

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  2. बहुत ही सुंदर । बाल गीत पाठ्यक्रम में शामिल करने योग्य
    उपयोगी ।
    असाधारण।

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    Replies
    1. जी। बहुत-बहुत धन्‍यवाद।

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