हँसते-गाते




श्री बालकवि बैरागी के पाँचवें काव्य संग्रह 
‘गौरव गीत’ का आठवाँ गीत

.....मैं काँग्रेस के मंच से हिन्दी मंच पर आया हूँ। सो, मैंने उस महान् संस्था के उपकार को नहीं भूलना चाहिये। मेरी नैतिकता मुझे इसके लिये हमेशा आगाह करती रहती है। .....मुझे लोकप्रियता देने में इन गीतों का बहुत बड़ा योगदान है। पूरे देश के आर-पार मेरा एक विशाल परिवार इन गीतों ने तैयार किया है। .......न इनका कोई साहित्यिक मूल्य है न इनमें कोई साहित्यिक बात ही है। फिर भी ये पुस्तकाकार छपे हैं। .....मेरे लिये यह जरूरी था कि इनको छपा कर आप तक पहुँचाऊँ। 


हँसते-गाते

                हँसते-गाते, धूम मचाते, आगे कदम बढ़ायेंगे
                आजादी के रखवाले हम, भारत नया बनायेंगे

- 1 -

                हम काँटों में राह बना दें, चल दें हम अंगारों पर
                आँच नहीं हम आने देंगे, भारत के सिंगारों पर
                                जिसने हमको जनम दिया है
                                जिस माता का दूध पिया है
                पूरा नहीं, अधूरा लेकिन, उसका कर्ज चुकायेंगे
                आजादी के रखवाले हम, भारत नया बनायेंगे
                                भाई, हँसते-गाते.....

- 2 - 

                चन्द दिनों में हम पर भी तो, नई जवानी आयेगी
                नये देश की खाली झोली, रत्नों से भर जायेगी
                                प्यारा-प्यारा नाम हमारा
                                नया निराला काम हमारा
                सच कहते हैं इतिहासों में, सोने से लिखवायेंगे
                आजादी के रखवाले हम, भारत नया बनायेंगे
                                भाई, हँसते-गाते.....

- 3 - 

                हम पर गौरव होगा तुमको, मानो या मत मानो रे
                ऊषा के आँचल में उगते, सूरज को पहचानो रे
                                ये किरणें हैं जग उजियारी
                                कहाँ रहेगी अब अँधियारी
                हर मुश्किल से लोहा लेंगे, पीठ नहीं दिखलायेंगे
                आजादी के रखवाले हम, भारत नया बनायेंगे
                                भाई, हँसते-गाते.....
-----


‘गौरव गीत’ - भूमिका, सन्देश, कवि-कथन, जानकारियाँ यहाँ पढ़िए।

‘गौरव गीत’ का सातवाँ गीत ‘हम भारत माँ के पूत’ यहाँ पढ़िए

‘गौरव गीत’ का नौवाँ गीत ‘आगे-आगे बढ़ रहे हैं’ यहाँ पढ़िए

मालवी कविता संग्रह  ‘चटक म्हारा चम्पा’ की कविताएँ यहाँ पढ़िए। इस पन्ने से अगली कविताओं की लिंक, एक के बाद एक मिलती जाएँगी।  

‘भावी रक्षक देश के’ के बाल-गीत यहाँ पढ़िए। इस पन्ने से अगले गीतों की लिंक, एक के बाद एक मिलती जाएँगी।  

‘वंशज का वक्तव्य’ की कविताएँ यहाँ पढ़िए। इस पन्ने से अगली कविताओं की लिंक, एक के बाद एक मिल

‘दरद दीवानी’ की कविताएँ यहाँ पढ़िए। इस पन्ने से अगली कविताओं की लिंक, एक के बाद एक मिलती जाएँगी।  


गौरव गीत - काँग्रेस सेवादल के लिए रचित गीतों का संग्रह
कवि - बालकवि बैरागी
प्रकाशक - पिया प्रकाशन, मनासा (म. प्र.)
आवरण - मोहन झाला, उज्जैन
कॉपी राइट - ‘कवि’ (बालकवि बैरागी)
प्रथम संस्करण - 1100 प्रतियाँ,
प्रकाशन वर्ष - 1966
मूल्य - 1.50 रुपये
मुद्रक - रतनलाल जैन,
पंचशील प्रिण्टिंग प्रेस, मनासा (म. प्र.) 
-----



यह संग्रह हम सबकी ‘रूना’ ने उपलब्ध कराया है। 
‘रूना’ याने रौनक बैरागी। दादा की पोती। 
रूना, राजस्थान राज्य प्रशासनिक सेवा की सदस्य है और यह कविता प्रकाशन के दिन उदयपुर में अतिरिक्त आबकारी आयुक्त के पद पर पदस्थ है।



No comments:

Post a Comment

आपकी टिप्पणी मुझे सुधारेगी और समृद्ध करेगी. अग्रिम धन्यवाद एवं आभार.