मेरे साथ आ

श्री बालकवि बैरागी के दूसरे काव्य संग्रह
‘जूझ रहा है हिन्दुस्तान’ की सोलहवीं कविता

यह संग्रह पिता श्री द्वारकादासजी बैरागी को समर्पित किया गया है।




मेरे साथ आ

तू अगर जवान है तो मेरे साथ आ
मेरे साथ आ-. ....
मेरे साथ आ--.. ....
तू अगर जवान है तो मेरे साथ आ

ये दहकते चार दिन
ये महकते चार दिन
ये चहकते चार दिन
यूँ नहीं गँवा.....मेरे साथ आ... 
तू अगर जवानहै तो मेरे साथ आ

सुनते हैं जहान भर में तेरा नाम है
तेरी कामयाबियों के चर्चे आम हैं
सर पे आज आ गया वतन का काम है
मादरे वतन का कर्ज आज तो चुका
मेरे साथ आ.....
तू अगर जवान है तो मेरे साथ आ

आ नया बनायेंगे हर जवान को
आ नया बनायेंगे हिन्दोस्तान को
आ नया बनायेंगे सारे जहान को
उम्र ढलती जा रही है कुछ तो कर दिखा
मेरे साथ आ.....
तू अगर जवान है तो मेरे साथ आ

तुझ पे तेरे देश को बड़ा गुमान है
वक्त लेता आज तेरा इम्तहान है
बार-बार क्या कहूँ तू नौजवान है
पीठ क्या बता रहा है हौसला बता
मेरे साथ आ.....
तू अगर जवान है तो मेरे साथ आ

ये ले थाम ले तिरंगा अपने हाथ में
मंजिलें मिलायेंगे हम बात-बात में
देख तेरे हमसफर हैं इस जमात में
सोचने ही सोचने में वक्त मत गवाँ
मेरे साथ आ.....
तू अगर जवान है तो मेरे साथ आ

बन गया है क्या से क्या देख आदमी
लग रहा है नया-नया देख आदमी
चाँद पे पहुँच गया है देख आदमी
हिन्द के गुमान को यूँ दाग मत लगा
मेरे साथ आ.....
तू अगर जवान है तो मेरे साथ आ

क्यों बिखर गया है बता तेरा कारवाँ
क्यों है परेशान बता तेरा पासबाँ
क्यों मजाक बन रहा है हिन्द का जवाँ
जो जुदा है उनको साथ में मिला
मेरे साथं आ.....
तू अगर जवान है तो मेरे साथ आ

दिन-ब-दिन बदलता कराँची का दीन है
लाल होती रोज नेफा की ज़मीन है
जंग के लिये बुलाता लाल चीन है
चल पड़ा है फिर से शहादत का सिलसिला
मेरे साथ आ.....
तू अगर जवान है तो मेरे साथ आ

ओ नये जवान गरम तेरा खून है
चढ़ गया वतन पे फिर नया जुनून है
याद कर रगों में तेरी किसका खून है
कसमसाती बाजुओं को शान से उठा
मेरे साथ आ.....
तू अगर जवान है तौ मेरे साथ आ
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जूझ रहा है हिन्दुस्तान
कवि - बालकवि बैरागी
प्रकाशक - मालव लोक साहित्य परिषद्, उज्जैन (म. प्र.)
प्रथम संस्करण 1963.  2100 प्रतियाँ
मूल्य - दो रुपये
आवरण - मोहन झाला, उज्जैन (म. प्र.)
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यह संग्रह हम सबकी ‘रूना’ ने उपलब्ध कराया है। 
‘रूना’ याने रौनक बैरागी। दादा श्री बालकवि बैरागी की पोती। 
रूना, राजस्थान राज्य प्रशासनिक सेवा की सदस्य है और यह कविता प्रकाशन के दिन उदयपुर में अतिरिक्त आबकारी आयुक्त के पद पर पदस्थ है।





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