पसीनो एक साथ चूवा दो

श्री बालकवि बैरागी के मालवी श्रम-गीत संग्रह
‘अई जावो मैदान में’ की ग्यारहवीं कविता


यह संग्रह डॉ. श्री चिन्तामणिजी उपाध्याय को समर्पित किया गया है।



पसीनो एक साथ चूवा दो

लालकिला का मालकाँ मत बैठो नक्काम
पसीनो एक साथ चूवा दो मरदाँ वेई जागा सब काम
के थाँको ऊँचो उठेगा गाम
के थाँको जग में वेगा नाम
के थाँको भलो करेगा राम
पसीनो एक साथ चूवा दो

अपणा बैली आप बणो ने काम पड़ौसी के आवो
जीवो और जीवा दो सब ने भटक्या के पंथ बतावो
अपणी मदद करी ले वणकी मदद करे है राम
(के) थाँको वेई जा गा सब काम
पसीनो एक साथ चूवा दो

माप तौल का खाड़ा में थी कंचन खाद वणावो
न्हाको खेत में और खरा ती गाड़îाँ भर-भर लावो
अण बोल्या गूँगा ढाँढा ने हमझो मती गुलाम
के थाँ को वेइ जागा सब काम
पसीनो एक साथ चूवा दो

तीन डाकणाँ ती लड़वा की कर लो आज तैयारी
पेली गन्दगी दूजी गरीबी तीजी घोर गँवारी
थाँ का डाव पर आँख लगई ने बेठो रे मुलक तमाम
के थाँको वेई जा गा सब काम
पसीनो एक साथ चूवा दो

दानी ज्ञानी ओ हिन्दवानी दीजो यें भी ध्यान
श्रम ती मोटो अणी जगत में कोन्ही दूजो दान
अणी दान का फल भर देगा हगरा खाली ठाम
के थाँको वेई जा गा सब काम
पसीनो एक साथ चूवा दो

गाँठ बाँध लो म्हारी बात के मन्दर मज्जत वारा
साफ सफाई में है बिराजा अल्ला ईश्वर थारा
सुघड़ आँगणे आठी पहराँ प्रभुजी करे मुकाम
के थाँको वेई जागा सब काम
पसीनो एक साथ चूवा दो

सबती मोटी ताकत खेती देसड़ला की केवावे
हिलमिल टेको लागी जा तो परबत तोकई जावे
सहकार ती मोटो जग में कोनी दूजो काम
के थाँ को वेई जा गा सब काम
पसीनो एक साथ चूवा दो

गाम आपणो कई न्ही माँगे, माँगे बस दो बात
उजरो-उजरो मन माँगे ने मैला-मैला हाथ
बस अतरो सो देई दो ने लेई लो नाम-दाम-आराम
के थाँ को वेई जा गा सब काम
पसीनो एक साथ चूवा दो
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संग्रह के ब्यौरे
अई जावो मैदान में (मालवी कविता संग्रह) 
कवि - बालकवि बेरागी
प्रकाशक - कालिदास निगम, कालिदास प्रकाशन, 
निगम-निकुंज, 38/1, यन्त्र महल मार्ग, उज्जन (म. प्र.) 45600
प्रथम संस्करण - पूर्णिमा, 986
मूल्य रू 15/- ( पन्द्रह रुपया)
आवरण - डॉ. विष्णु भटनागर
सर्वाधिकार - बालकवि बैरागी
मुद्रक - राजेश प्रिन्टर्स, 4, हाउसिंग शॉप, शास्त्री नगर, उज्जैन




यह संग्रह हम सबकी ‘रूना’ ने उपलब्ध कराया है। ‘रूना’ याने रौनक बैरागी। दादा श्री बालकवि बैरागी की पोती। रूना, राजस्थान राज्य प्रशासनिक सेवा की सदस्य है और यह कविता प्रकाशन के दिन उदयपुर में अतिरिक्त आबकारी आयुक्त के पद पर पदस्थ है।











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