चेत भवानी

श्री बालकवि बैरागी के मालवी श्रम-गीत संग्रह
‘अई जावो मैदान में’ की उन्नीसवीं कविता


यह संग्रह डॉ. श्री चिन्तामणिजी उपाध्याय को समर्पित किया गया है।



चेत भवानी

चेतो माता चावण्डा ने चेतो खप्परवारी रे
चेत भवानी दुर्गा राणी धार दुधारी रे
के जामण जागी जा
हाँ ऐ जामण जागी जा के
ढोल नगारा वाजे
जामण जागी जा

गूँजे ड्योढ़ी करो अपोढ़ी जामण नींदा तोड़ो रे
थारा जाया ने भीड़ील्यो लीलो घोड़ो रे
के जामण जागी जा
बोल जामण जागी जा के
ढोल नगारा वाजे
जामण जागी जा

छोटी छोटी आँखाँ वारो बैरी आँखाँ काढ़े रे
लाय लगई दी केसर में ने वाग उजाड़े रे
के जामण जागी जा
हाँ ऐ जामण जागी जा के
ढोल नगारा वाजे
जामण जागी जा

बैरी का लोही ती थारो माणक चौक लिपाऊँगा
चाऊ माऊ का माथा को भोग लगाऊँगा
के जामण जागी जा
बोल जामण जागी जा के
ढोल नगारा वाजे
जामण जागी जा

तरसी थारी तिरसूलाँ ने खप्पर थारो खाली रे
तू हुत्ती ने बैरी के घर मने दीवाली रे
के जामण जागी जा
बोल जामण जागी जा के
ढोल नगारा वाजे
जामण जागी जा

रतजग्गा की रात सुहागण और अबे न्हीं जागेगा
तू न्हीं जागी तो भारत पर कारो लागेगा
के जामण जागी जा
हां रे जामण जागी जा के
ढोल नगारा वाजे
जामण जागी जा

अमर तिरंगो लेईने म्हारो जोड़ीदार सिधारे रे
भारत की जायी ने वणको धरम पुकारे रे
के जामण जागी जा
बोल जामण जागी जा के
ढोल नगारा वाजे
जामण जागी जा

आखा-पाती देई दे माड़ी म्हाने रण में जावा दे
थारा बारूड़ा ने माड़ी दूध चुकावा दे
जामण जागी जा
हाँ रे जामण जागी जा के
ढोल नगारा वाजे
जामण जागी जा

म्हारी डावी भुजा कसीली जामण रेई-रेई फड़के रे
चीनी छोर्याँ का चुड़ला की चूँपा तड़के रे
जामण जागी जा
बोल जामण जागी जा के
ढोल नगारा वाजे
जामण जागी जा

म्हारा सूरज चाँद सितारा देशड़ला पर वारूँ रे
अम्मर चुड़लो थारे आँगण आज वधारूँ रे
के जामण जागी जा
हाँ ऐ जामण जागी जा के
ढोल नगारा वाजे
जामण जागी जा
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संग्रह के ब्यौरे
अई जावो मैदान में (मालवी कविता संग्रह) 
कवि - बालकवि बेरागी
प्रकाशक - कालिदास निगम, कालिदास प्रकाशन, 
निगम-निकुंज, 38/1, यन्त्र महल मार्ग, उज्जन (म. प्र.) 45600
प्रथम संस्करण - पूर्णिमा, 986
मूल्य रू 15/- ( पन्द्रह रुपया)
आवरण - डॉ. विष्णु भटनागर
सर्वाधिकार - बालकवि बैरागी
मुद्रक - राजेश प्रिन्टर्स, 4, हाउसिंग शॉप, शास्त्री नगर, उज्जैन




यह संग्रह हम सबकी ‘रूना’ ने उपलब्ध कराया है। ‘रूना’ याने रौनक बैरागी। दादा श्री बालकवि बैरागी की पोती। रूना, राजस्थान राज्य प्रशासनिक सेवा की सदस्य है और यह कविता प्रकाशन के दिन उदयपुर में अतिरिक्त आबकारी आयुक्त के पद पर पदस्थ है।











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