.....मैं काँग्रेस के मंच से हिन्दी मंच पर आया हूँ। सो, मैंने उस महान् संस्था के उपकार को नहीं भूलना चाहिये। मेरी नैतिकता मुझे इसके लिये हमेशा आगाह करती रहती है। .....मुझे लोकप्रियता देने में इन गीतों का बहुत बड़ा योगदान है। पूरे देश के आर-पार मेरा एक विशाल परिवार इन गीतों ने तैयार किया है। .......न इनका कोई साहित्यिक मूल्य है न इनमें कोई साहित्यिक बात ही है। फिर भी ये पुस्तकाकार छपे हैं। .....मेरे लिये यह जरूरी था कि इनको छपा कर आप तक पहुँचाऊँ।
हम भारत माँ के पूत
हम भारत माँ के पूत,
अमन के दूत, जमानेवालों!
हम गायें अमन के गीत,
लुटायें प्रीत, जमानेवालों!
- 1 -
हिन्द-चीन मे जहाँ लगे थे लाशों के अम्बार
लगे कोरिया की गलियों में, कफनों के बाजार
(हम) गाते गये मल्हार, ले आये बहार, जमानेवालों!
हम भारत माँ के पूत.....
- 2 -
रण का प्यासा मूरख मानव, करता जब-जब चोट
लेती है तब सारी दुनिया, मेरी माँ की ओट
(मेरा) चचा जवाहरलाल, तुम्हारी ढाल, जमानेवालों!
हम भारत माँ के पूत.....
- 3 -
दो सदियों तक जिस धरती पर, उगे कफन के खेत
नव-जीवन का पाठ पढ़ाती, आज वहाँ की रेत
(हम) बुझा रहे शमशान, हमें अभिमान, जमानेवालों!
हम भारत माँ के पूत.....
- 4 -
यहाँ अहिंसा देती जग को, जीने का विश्वास
पंचशील की धरती लिखती, नवयुग का इतिहास
(हम) बलिदानी सन्तान, करें निर्माण, जमानेवालों!
हम भारत माँ के पूत.....
- 5 -
सुजला, सुफला भारत माँ के, कोटि-कोटि बलवीर
लिखें तिरंगे की छाया में, दुनिया की तकदीर
(हम) धरती के वरदान, युगोें की शान, जमानेवालों!
हम भारत माँ के पूत.....
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‘गौरव गीत’ - भूमिका, सन्देश, कवि-कथन, जानकारियाँ यहाँ पढ़िए।
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गौरव गीत - काँग्रेस सेवादल के लिए रचित गीतों का संग्रह
कवि - बालकवि बैरागी
प्रकाशक - पिया प्रकाशन, मनासा (म. प्र.)
आवरण - मोहन झाला, उज्जैन
कॉपी राइट - ‘कवि’ (बालकवि बैरागी)
प्रथम संस्करण - 1100 प्रतियाँ,
प्रकाशन वर्ष - 1966
मूल्य - 1.50 रुपये
मुद्रक - रतनलाल जैन,
पंचशील प्रिण्टिंग प्रेस, मनासा (म. प्र.)
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कवि - बालकवि बैरागी
प्रकाशक - पिया प्रकाशन, मनासा (म. प्र.)
आवरण - मोहन झाला, उज्जैन
कॉपी राइट - ‘कवि’ (बालकवि बैरागी)
प्रथम संस्करण - 1100 प्रतियाँ,
प्रकाशन वर्ष - 1966
मूल्य - 1.50 रुपये
मुद्रक - रतनलाल जैन,
पंचशील प्रिण्टिंग प्रेस, मनासा (म. प्र.)
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यह संग्रह हम सबकी ‘रूना’ ने उपलब्ध कराया है।
‘रूना’ याने रौनक बैरागी। दादा की पोती।
रूना, राजस्थान राज्य प्रशासनिक सेवा की सदस्य है और यह कविता प्रकाशन के दिन उदयपुर में अतिरिक्त आबकारी आयुक्त के पद पर पदस्थ है।
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