विनोबाजी ने नोतो

श्री बालकवि बैरागी के, मालवी कविता संग्रह 
‘चटक म्हारा चम्पा’ की तेईसवीं कविता

यह संग्रह श्री नरेन्द्र सिंह तोमर को समर्पित किया गया है।








विनोबाजी ने नोतो

वे गो अईजा रे म्हारा सन्‍त विनोबा
निरधन रोवे रे
वे गो अईजा रे

मरे पचे ने धान कमावे पेट भरे दुनियाँ को
ऊ धरती को पूत कमाऊ बेटो राणी माँ को
रे बाबा बेटो भारत माँ को
लगा बारकाँ ने छाती तो भूखो होवे रे
निरधन रोवे रे
वे गो अईजा रे म्हारा सन्‍त विनोबा

पगॉं जातरा करो जातरी व्‍यऊँ (बिवाई) पेटे दुख देवे
घरती माँ की माँग को हिंगरू थाराँ पगाँ ती बेवे
रे बाबा थाराँ पगाँ ती बेवे
चुनरी फाड़ पग पाटा बाँधू जद सुख होवे रे
निरधन रोवे रे
वे गो अईजा रे म्हारा सन्‍त बिनोबा

गया बरस कामण में उपण्‍यॉं गहूँ की लापसी राधूँ
वागड़िया नारेर वधारूँ गोरी-गोरी चटकाँ मिलादूँ
रे बाबा गोरी-गोरी चटकाँ मिला दूँ
र्‌या  मूॅूँग ने वाला-वाला चँवरा गेलो जोवे रे
निरधन रोवे रे
वे गो अईजा रे म्हारा सन्‍त बिनोबा
 
सकरकन्‍द को खेत खुदाऊँ, बाफूँ ताता पाणी में
भैंस बाकडी तुरन्‍त बाकड़ी तुरन्त दुहाड़ूँ, दही जमाऊ मथणी में
रे बाबा दही जमाऊं मथणी में
रुच-रुच खावे, थारी दाड़ी भरावे, म्हारो भमर्‌यो धोवे रे
निरधन रोवे रे
वे गो अईजा रे म्हारा सन्‍त विनोबा

हिलमिल म्‍हाने सड़क बणई दी, पगडण्‍डी मत आजे
जण का दुख से तू दुबरो है वण की पीर मिटाजे
रे बाबा वण की पीर मिटाजे
देर करी तो जमीं को भूखो, सत-पत खोवे रे
निरधन रोवे रे
वेगो अईजा रे म्हारा सन्‍त विनोबा
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संग्रह के ब्यौरे 
चटक म्हारा चम्पा (मालवी कविता संग्रह)
कवि - बालकवि बैरागी
प्रकाशक - निकुंज प्रकाशन, 4 हाउसिंग शॉप, शास्त्री नगर, उज्जैन
मूल्य - 20 रुपये
चित्रांकन - डॉ. विष्णु भटनागर
प्रकाशन वर्ष - 1983
कॉपी राइट - बालकवि बैरागी
मुद्रक - विद्या ट्रेडर्स, उज्जैन




यह संग्रह हम सबकी ‘रूना’ ने उपलब्ध कराया है। 
‘रूना’ याने रौनक बैरागी। दादा की पोती। 
रूना, राजस्थान राज्य प्रशासनिक सेवा की सदस्य है और यह कविता प्रकाशन के दिन उदयपुर में अतिरिक्त आबकारी आयुक्त के पद पर पदस्थ है।


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