सेवादल के सबल सिपाही

 


श्री बालकवि बैरागी के पाँचवें काव्य संग्रह 

‘गौरव गीत’ का दूसरा गीत

.....मैं काँग्रेस के मंच से हिन्दी मंच पर आया हूँ। सो, मैंने उस महान् संस्था के उपकार को नहीं भूलना चाहिये। मेरी नैतिकता मुझे इसके लिये हमेशा आगाह करती रहती है। .....मुझे लोकप्रियता देने में इन गीतों का बहुत बड़ा योगदान है। पूरे देश के आर-पार मेरा एक विशाल परिवार इन गीतों ने तैयार किया है। .......न इनका कोई साहित्यिक मूल्य है न इनमें कोई साहित्यिक बात ही है। फिर भी ये पुस्तकाकार छपे हैं। .....मेरे लिये यह जरूरी था कि इनको छपा कर आप तक पहुँचाऊँ। 



सेवादल के सबल सिपाही

नव समाज की नई दिशा में, जिनने कदम बढ़ाये हैं
सेवादल के सबल सिपाही, उमड़-घुमड़ कर आये हैं
देश हमारा जिन्दाबाद!
घ्येय हमारा जिन्दाबाद!
भाई-भाई जिन्दाबाद
ये तरुणाई जिन्दाबाद!

तुरत सोचते, सीधा बोलें, कदम मिला कर चलते हैं
काँग्रेस के पथ पर चलकर, जो इतिहास बदलते हैं
अनुशासित हैं तन से, मन से, नहीं वचन से टलते हैं
शिक्षा, निष्ठा, लगन, साधना, त्याग दिलों में पलते हैं
अमर भावना सेवादल की सबल सिपहिया ओ.....
अमर भावना सेवादल की साथ लुटाने लाये हैं
सेवादल के सबल सिपाही, उमड़-घुमड़ कर आये हैं
देश हमारा जिन्दाबाद.....

राष्ट्र रहेगा अब अनुशासित, जूझेंगे निमाणों में
नव जीवन पैदा कर देंगे, हम मुर्दा पाषाणों में
भेदभाव अब नहीं रहेगा, निर्धन या धनवानों में
भर देंगे राष्ट्रीय चरित हम, भारत की सन्तानों में
समता, क्षमता सबमें होगी, सबल सिपहिया ओ.....
समता, क्षमता सबमें होगी, ये संकल्प उठाये हैं
सेवादल के सबल सिपाही, उमड़-घुमड़ कर आये हैं
देश हमारा जिन्दाबाद.....

नये जवानों, सीना तानो, मिल कर कदम बढ़ाना है
एक काफिले के साथी हैं, सबका यही तराना है
ऐ मतवालों! यही सँदेसा, मिल कर हमें गुँजाना है
नये देश का रथ हम सबको, मंजिल तक पहुँचाना है
सब सपने साकार करेंगे सबल सिपहिया ओ.....
सब सपने साकार करेंगे, जो-जो माँ को भाये हैं
सेवादल के सबल सिपाही, उमड़-घुमड़ कर आये हैं
देश हमारा जिन्दाबाद.....
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‘गौरव गीत’ - भूमिका, सन्देश, कवि-कथन, जानकारियाँ
गौरव गीत - काँग्रेस सेवादल के लिए रचित गीतों का संग्रह
कवि - बालकवि बैरागी
प्रकाशक - पिया प्रकाशन, मनासा (म. प्र.)
आवरण - मोहन झाला, उज्जैन
कॉपी राइट - ‘कवि’ (बालकवि बैरागी)
प्रथम संस्करण - 1100 प्रतियाँ,
प्रकाशन वर्ष - 1966
मूल्य - 1.50 रुपये
मुद्रक - रतनलाल जैन,
पंचशील प्रिण्टिंग प्रेस, मनासा (म. प्र.) 

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‘गौरव गीत’ की भूमिका, कवि का आत्म-कथ्य, सम्मतियाँ, सन्देश यहाँ पढ़िए

गौरव गीत’ का पहला गीत ‘अभिलाषा’ यहाँ पढ़िए

‘गौरव गीत’ का तीसरा गीत ‘हम सिपाही सेवादल के’ यहाँ पढ़िए


‘दरद दीवानी’ की कविताएँ यहाँ पढ़िए। इस पन्ने से अगली कविताओं की लिंक, एक के बाद एक मिलती जाएँगी।  

‘वंशज का वक्तव्य’ की कविताएँ यहाँ पढ़िए। इस पन्ने से अगली कविताओं की लिंक, एक के बाद एक मिलती जाएँगी। 

‘भावी रक्षक देश के’ के बाल-गीत यहाँ पढ़िए। इस पन्ने से अगले गीतों की लिंक, एक के बाद एक मिलती जाएँगी।  

मालवी कविता संग्रह  ‘चटक म्हारा चम्पा’ की कविताएँ यहाँ पढ़िए। इस पन्ने से अगली कविताओं की लिंक, एक के बाद एक मिलती जाएँगी।  




यह संग्रह हम सबकी ‘रूना’ ने उपलब्ध कराया है। 
‘रूना’ याने रौनक बैरागी। दादा की पोती। 
रूना, राजस्थान राज्य प्रशासनिक सेवा की सदस्य है और यह कविता प्रकाशन के दिन उदयपुर में अतिरिक्त आबकारी आयुक्त के पद पर पदस्थ है।





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