यह संग्रह, राष्ट्रकवि रामधरी सिंह दिनकर को समर्पित किया गया है।
एक प्रश्न देश का
मुझसे पूछा देश ने
मैं कहाँ हूँ तेरे जीवन में?
मैंने कहा -
दिखाऊँ
और मैं कुछ सोचने लगा
कि क्या उत्तर दूँ
इस प्रश्न से मुक्ति कैसे लूँ
तभी समझ गया देश
और बोला
सुन!
मेरे अच्छे समय में तू ही क्या
हर बड़ा से बड़ा आदमी भी नहीं रहता है मेरा
वह होता है अपना
केवल अपना
पर यदि मुझ पर बुरा वक्त आ जाये
तो कपूत तक मेरे हो जाते हैं
अपने प्राण तक मेरे लिये बो जाते हैं
अब सिर्फ इसलिए कि
तू मेरा बना रहे
प्रभु से कैसे माँगूँ अपना बुरा वक्त?
और सब कुछ समझ गया
मैं कम्बख्त।
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‘भावी रक्षक देश के’ के बाल-गीत यहाँ पढ़िए। इस पन्ने से अगले गीतों की लिंक, एक के बाद एक मिलती जाएँगी।
वंशज का वक्तव्य (कविता संग्रह)
कवि - बालकवि बैरागी
प्रकाशक - ज्ञान भारती, 4/14, रूपनगर दिल्ली - 110007
प्रथम संस्करण - 1983
मूल्य 20 रुपये
मुद्रक - सरस्वती प्रिंटिंग प्रेस, मौजपुर, दिल्ली - 110053
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