यह प्यारा दिन



श्री बालकवि बैरागी के पाँचवें काव्य संग्रह 
         ‘गौरव गीत’ का चौबीसवाँ गीत

.....मैं काँग्रेस के मंच से हिन्दी मंच पर आया हूँ। सो, मैंने उस महान् संस्था के उपकार को नहीं भूलना चाहिये। मेरी नैतिकता मुझे इसके लिये हमेशा आगाह करती रहती है। .....मुझे लोकप्रियता देने में इन गीतों का बहुत बड़ा योगदान है। पूरे देश के आर-पार मेरा एक विशाल परिवार इन गीतों ने तैयार किया है। .......न इनका कोई साहित्यिक मूल्य है न इनमें कोई साहित्यिक बात ही है। फिर भी ये पुस्तकाकार छपे हैं। .....मेरे लिये यह जरूरी था कि इनको छपा कर आप तक पहुँचाऊँ। 


यह प्यारा दिन
26 जनवरी पर

                        पड़े हुए हैं बहुत दिनों से, हम गहरे जंजाल में
                        यह प्यारा दिन एक बार ही क्यों आता है साल में

- 1 -

                        यह प्यारा दिन जब आता है, मिलती हमें मिठाई है
                        लाड़-प्यार करती है अम्मी, होती नहीं पिटाई है
                        छुट्टी मिलती है शाला से, सब ही हँसते-गाते हैं
                        और देखने-सुननेवाले ताली खूब बजाते हैं
                        घर-घर पर लगती है बिजली, नई दिवाली मनती है
                        फूल हजारी चुन-चुन करके, बहनें गजरे बुनती हैं

                        ढोल-नगारे बज उठते हैं, गाँवों के चौपाल में
                        यह प्यारा दिन एक बार ही, क्यों आता है साल में

- 2 -

                        अमर तिरंगा लहराता है, अम्बर में अभिमान से
                        नये धान की खुशबू आती, भरे-भरे खलिहान से
                        गेहूँ, अलसी और चने पर, नई जवानी आती है
                        ठण्ड कड़ाके की पड़ती है, कुछ फसलें जल जाती हैं
                        फिर भी मोद मनाता भारत, यह मेहनत का देश है
                        हाथों पर विश्वास हमारा, रखवाला अखिलेश है

                        रंग जाती है भारत माता, कुंकुम और गुलाल से
                        यह प्यारा दिन एक बार ही, क्यों आता है साल में

- 3 -

                        ऐसी जुगत करो कुछ प्रभुजी! सदा-सदा यह दिन आवे
                        इसी तरह हम नाचें-कूदें, इसी तरह लड्डू खावें
                        जुलूस हमेशा निकले ऐसा, गली-गली में जावें हम
                        आजादी की रखवाली के, गीत हमेशा गावें हम
                        अमर हमारी आजादी हो, पूरी हो हर अभिलाषा
                        पूरी करके दिखला दें हम, भारत माँ की हर आशा

                        बढ़ते ही जावें हम आगे, हर आँधी, भूचाल में
                        यह प्यारा दिन एक बार ही, क्यों आता है साल में
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गौरव गीत - काँग्रेस सेवादल के लिए रचित गीतों का संग्रह
कवि - बालकवि बैरागी
प्रकाशक - पिया प्रकाशन, मनासा (म. प्र.)
आवरण - मोहन झाला, उज्जैन
कॉपी राइट - ‘कवि’ (बालकवि बैरागी)
प्रथम संस्करण - 1100 प्रतियाँ,
प्रकाशन वर्ष - 1966
मूल्य - 1.50 रुपये
मुद्रक - रतनलाल जैन,
पंचशील प्रिण्टिंग प्रेस, मनासा (म. प्र.) 
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यह संग्रह हम सबकी ‘रूना’ ने उपलब्ध कराया है। 
‘रूना’ याने रौनक बैरागी। दादा की पोती। 
रूना, राजस्थान राज्य प्रशासनिक सेवा की सदस्य है और यह कविता प्रकाशन के दिन उदयपुर में अतिरिक्त आबकारी आयुक्त के पद पर पदस्थ है।



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