यह संग्रह, राष्ट्रकवि रामधरी सिंह दिनकर को समर्पित किया गया है
प्रथम चरण
सम्पूर्ण क्रान्ति तो ठीक
तथाकथित क्रान्ति तक ने
तुम पर नहीं किया विश्वास
कितने लफ्फाज, बोदे और बुजदिल
सिद्ध हुए बेटा नन्दरामदास
पिंजड़े के डर से
तुम लाख छिपो बिल में
तुम्हारी नियति नहीं बदल जाती
बहुत कुतरी है तुमने मेरी फसल
डी. डी. टी. प्रूफ हो गई थी तुम्हारी नसल
खैर,
तुमने माँ को तो माँ कभी भी नहीं माना
पर मारे इसलिए गये बच्चू कि
तुमने मौसी को भी नहीं पहिचाना
बिल और पिंजड़े में अभी भी बहुत दूरी है
खुली पड़ हैं सारी सड़कें तुम्हारे लिए
पर
उद्दण्डता के पट्टे और
लफ्फाजी के लायसंस का
अब कभी भी नहीं होगा नवीनीकरण
क्योंकि शुरु हो गया है
मेरे खेतों में अनुशासन-पर्व का
पहिला चरण।
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‘भावी रक्षक देश के’ के बाल-गीत यहाँ पढ़िए। इस पन्ने से अगले गीतों की लिंक, एक के बाद एक मिलती जाएँगी।
वंशज का वक्तव्य (कविता संग्रह)
कवि - बालकवि बैरागी
प्रकाशक - ज्ञान भारती, 4/14, रूपनगर दिल्ली - 110007
प्रथम संस्करण - 1983
मूल्य 20 रुपये
मुद्रक - सरस्वती प्रिंटिंग प्रेस, मौजपुर, दिल्ली - 110053
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