.....मैं काँग्रेस के मंच से हिन्दी मंच पर आया हूँ। सो, मैंने उस महान् संस्था के उपकार को नहीं भूलना चाहिये। मेरी नैतिकता मुझे इसके लिये हमेशा आगाह करती रहती है। .....मुझे लोकप्रियता देने में इन गीतों का बहुत बड़ा योगदान है। पूरे देश के आर-पार मेरा एक विशाल परिवार इन गीतों ने तैयार किया है। .......न इनका कोई साहित्यिक मूल्य है न इनमें कोई साहित्यिक बात ही है। फिर भी ये पुस्तकाकार छपे हैं। .....मेरे लिये यह जरूरी था कि इनको छपा कर आप तक पहुँचाऊँ।
अभिनन्दन
मृत यौवन को जीवन देकर, तुमने राष्ट्र बनाया
सदा-सदा के लिये उठाया, तुमने माँ का भाल
सेवादल के आदि पुरुष तुम, जियो हजारों साल
अनुशासन में बाँधी तुमने, जलती हुई जवानी
कौन लिखेगा बलिदानों की, तुमसे बड़ी कहानी
रोक न पाये राह तम्हारी, बड़े-बड़े भूचाल
सेवादल के आदि पुरुष तुम, जियो हजारों साल
नये देश के नये सिपाही, गाते गान तुम्हारा
उम्र हमारी तुम्हें समर्पित, अर्पित प्राण हमारा
देते रहे सदा आशीषें, करते रहो निहाल
सेवादल के आदि पुरुष तुम, जियो हजारों साल
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कवि - बालकवि बैरागी
प्रकाशक - पिया प्रकाशन, मनासा (म. प्र.)
आवरण - मोहन झाला, उज्जैन
कॉपी राइट - ‘कवि’ (बालकवि बैरागी)
प्रथम संस्करण - 1100 प्रतियाँ,
प्रकाशन वर्ष - 1966
मूल्य - 1.50 रुपये
मुद्रक - रतनलाल जैन,
पंचशील प्रिण्टिंग प्रेस, मनासा (म. प्र.)
यह संग्रह हम सबकी ‘रूना’ ने उपलब्ध कराया है।
‘रूना’ याने रौनक बैरागी। दादा की पोती।
रूना, राजस्थान राज्य प्रशासनिक सेवा की सदस्य है और यह कविता प्रकाशन के दिन उदयपुर में अतिरिक्त आबकारी आयुक्त के पद पर पदस्थ है।
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