हम सिपाही सेवादल के



श्री बालकवि बैरागी के पाँचवें काव्य संग्रह 
       ‘गौरव गीत’ का तीसरा गीत

.....मैं काँग्रेस के मंच से हिन्दी मंच पर आया हूँ। सो, मैंने उस महान् संस्था के उपकार को नहीं भूलना चाहिये। मेरी नैतिकता मुझे इसके लिये हमेशा आगाह करती रहती है। .....मुझे लोकप्रियता देने में इन गीतों का बहुत बड़ा योगदान है। पूरे देश के आर-पार मेरा एक विशाल परिवार इन गीतों ने तैयार किया है। .......न इनका कोई साहित्यिक मूल्य है न इनमें कोई साहित्यिक बात ही है। फिर भी ये पुस्तकाकार छपे हैं। .....मेरे लिये यह जरूरी था कि इनको छपा कर आप तक पहुँचाऊँ। 



हम सिपाही सेवादल के 

हम सिपाही सेवादल के
दम लेंगे हम देश बदल के
कदम-कदम तूफानी है
ये टोली मस्तानी है
हः  हः  हः  हः  हः  हः  हः  हः  
लल्लर लल्लर लल्ला ला 
चल भैया जरा तेज कदम
देश बदल कर लेंगे दम
चल मेरे भैया ओ.....
सुनो सिपहिया ओ.....

- 1 -

अभी महल को कर्तव्यों का, भान कराना बाकी है
कुटिया को भी अधिकारों का, ज्ञान कराना बाकी है
सूखी धरती को नदियों में, स्नान कराना बाकी है
भारत माँ की खातिर अपनी, जान गँवाना बाकी है
(अब) कुटी लगेगी गले महल के
दम लेंगे हम देश बदल के
हम सिपाही सेवादल के.....

- 2 -

एक मरे भूखों के मारे, एक से रोटी दूर नहीं
बापूजी के राम-राज्य का, ऐसा तो दस्तूर नहीं
भेद-भाव के झूठे झगड़े, जब हमको मंजूर नहीं
(तो) बेफिक्री से चलो जवानों, मंजिल कोई दूर नहीं 
बिना डरे बढ़ चलो मचल के
दम लें हम देश बदल के
हम सिपाही सेवादल के.....

- 3- 

चलो रोक लें सारी नदियाँ, खेत-खेत में पहुँचा दें
अन्दाता से कह दो कि वो, झूम-झूम कजरी गा दे
भूखी दुनिया की थाली में, पकवानों के ढेर लगा दें
कदम-कदम पर पंचशील के, रंग-बिरंगे फूल खिला दें
दोस्त बने हैं दुश्मन कल के
दम लेंगे हम देश बदल के
हम सिपाही सेवादल के
.....

- 4 -

सड़कें, नहरें, अस्पताल औ’, सरस्वती की शाला हो
सत्य, अहिंसा, न्याय, दया की, गाँव-गाँव मधुशाला हो
ताल-तलैया, श्रम के गाने, गाता मेरा ग्वाला हो
हँसी-खुशी से देश बदल दें, नहीं किसी के छाला हो
गीत सुनायें हम श्रम-बल के
दम लेंगे हम देश बदल के
हम सिपाही सेवादल के.....

- 5 -

लिय तिरंगा, चली जवानी, ऐ तूफानों आ जाओ
हिन्द भूमि के इन लालों से, हिम्मत हो तो टकराओ
कसम तुम्हें है नीले अम्बर, बेशक दुश्मन बन जाओ
नये देश के रखवालों का, जौहर तो अजमा जाओ
रख देंगे चुटकी में मसल के
दम लेंगे हम देश बदल के
हम सिपाही सेवादल के.....

- 6 - 

बाधाओं! मत पथ में आओ, नहीं रुकेगा सेवादल
सेवा दिल से छलक रही है, उमड़ चला है सेवादल
भारत की जनता का दल है, हम बच्चों का सेवादल
मंजिल पाकर ही दम लेगा, दीवानों का सेवादल
रस्ते मिल गये हैं मंजिल के
दम लेंगे हम देश बदल के
हम सिपाही सेवादल के.....
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‘गौरव गीत’ की भूमिका, कवि का आत्म-कथ्य, सम्मतियाँ, सन्देश यहाँ पढ़िए

‘गौरव गीत’ का दूसरा गीत ‘सेवादल के सबल सिपाही’ यहाँ पढ़िए

‘गौरव गीत’ का चौथा गीत ‘हौसला हमारा’ यहाँ पढ़िए


मालवी कविता संग्रह  ‘चटक म्हारा चम्पा’ की कविताएँ यहाँ पढ़िए। इस पन्ने से अगली कविताओं की लिंक, एक के बाद एक मिलती जाएँगी।  

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गौरव गीत - काँग्रेस सेवादल के लिए रचित गीतों का संग्रह
कवि - बालकवि बैरागी
प्रकाशक - पिया प्रकाशन, मनासा (म. प्र.)
आवरण - मोहन झाला, उज्जैन
कॉपी राइट - ‘कवि’ (बालकवि बैरागी)
प्रथम संस्करण - 1100 प्रतियाँ,
प्रकाशन वर्ष - 1966
मूल्य - 1.50 रुपये
मुद्रक - रतनलाल जैन,
पंचशील प्रिण्टिंग प्रेस, मनासा (म. प्र.) 

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यह संग्रह हम सबकी ‘रूना’ ने उपलब्ध कराया है। 
‘रूना’ याने रौनक बैरागी। दादा की पोती। 
रूना, राजस्थान राज्य प्रशासनिक सेवा की सदस्य है और यह कविता प्रकाशन के दिन उदयपुर में अतिरिक्त आबकारी आयुक्त के पद पर पदस्थ है।




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