आप जाणो

श्री बालकवि बैरागी के, मालवी कविता संग्रह 
‘चटक म्हारा चम्पा’ की इक्कीसवीं कविता

यह संग्रह श्री नरेन्द्र सिंह तोमर को समर्पित किया गया है।







आप जाणो

म्हारे से लेवाय कोन्‍हीं नाम आप को पर
(अब) आप जाणो और जाणे काम आपको
ओ सा म्हारे से लेवाय कोन्‍हीं

आठ-आठ पहर म्हने याद आओ हो
एक-एक कण में आप मुस्कराओ हो.
(जद) बिन बुलायाँ लाख घराँ आप जाओ हो
(तो) म्हारो मन भी वेगा ही मुकाम आपको
अब आप जाणो और जाणे काम आपको
ओ सा म्हारे से लेवाय कोन्ही

दुख परायो जाणी लेणो मोटी बात है
मेटणों न्‍हीं मेटणों या कण के हाथ है
(पण) कान दीजो माफ करजो कड़वी बात है
के कोई ने देखी ने डिगीग्यो राम आपको
अब आप जाणो और जाणे काम आपको
ओ सा म्हारे से लेवाय कोन्ही

पाँच तार की या देई ने फाटी चादरी
बाँध दो खलक-मुलक की अण में गाँठड़ी
जावणो है हाट-हाट और हाटड़ी
(ने) सूत तो है एक दम नकाम आपको
तो आप जाणो और जाणे काम आपको
ओ सा म्हारे से लेवाय कोन्ही

यो भी छोडूँ ऊ भी छोड़ूँ आपके बले
मन ने यूँ मनऊँ के मीत आज अई मिले
(पण) आप ही बतावो काम कस्तरूँ चले
के आपसे तो छूटे कोइन्ही धाम आपको
तो आप जाणो और जाणे काम आपको
ओ सा म्हारे से लेवाय कोन्ही

आपके बले म्हूँ जनम लूँ हजार लाख
बिरहा में बरूँ ने सदा आली राखूँ आँख
अतरा पर भी आपने दया नहीं जराऽक!

(अरे) क्यूँ करो हो कारो खुद ही नाम आपको
अब आप जाणो और जाणे क्वार्म आपको
ओ सा म्हारे से लेवाय कोन्‍हीं

जाण्‍यांँ-वीण्‍यॉं अणसमझ मती केवावजो
या अमीरी कोई और ने वतावजो
आणो वे तो हाँझ पेंला अई जावजो
म्‍हूँ भी कोई न्‍हीं नाथ कोई गुलाम आपको
अब आप जाणो और जाणे काम आपको
ओ सा म्हारे से लेवाय कोन्ही

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संग्रह के ब्यौरे 
चटक म्हारा चम्पा (मालवी कविता संग्रह)
कवि - बालकवि बैरागी
प्रकाशक - निकुंज प्रकाशन, 4 हाउसिंग शॉप, शास्त्री नगर, उज्जैन
मूल्य - 20 रुपये
चित्रांकन - डॉ. विष्णु भटनागर
प्रकाशन वर्ष - 1983
कॉपी राइट - बालकवि बैरागी
मुद्रक - विद्या ट्रेडर्स, उज्जैन




यह संग्रह हम सबकी ‘रूना’ ने उपलब्ध कराया है। 
‘रूना’ याने रौनक बैरागी। दादा की पोती। 
रूना, राजस्थान राज्य प्रशासनिक सेवा की सदस्य है और यह कविता प्रकाशन के दिन उदयपुर में अतिरिक्त आबकारी आयुक्त के पद पर पदस्थ है।


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